ले आया पावस के पत्र
मेघ डाकिया
मौसम ने धूप दी उतार
पहन लिए बूँदों के गहने
खेतों में झोंपड़ी बना
कहीं-कहीं घास लगी रहने
बिना पिए तृषित पपीहा
कह उठा पिया-पिया-पिया
झींगुर के सामूहिक स्वर
रातों के होंठ लगे छूने
दादुर के बच्चों का शोर
तोड़ रहे सन्नाटे सूने
करुणा प्लावित हुई घटा
अंबर ने क्या नहीं दिया
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पं.गिरिमोहन गुरु
अच्छी अभिव्यक्ति॰॰॰
जवाब देंहटाएंमौसम ने धूप दी उतार
पहन लिए बूँदों के गहने
बधाई!
खेतों में झोंपड़ी बना
जवाब देंहटाएंकहीं-कहीं घास लगी रहने
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ| बहुत सुन्दर नवगीत|
मौसम ने धूप दी उतार
जवाब देंहटाएंपहन लिए बूँदों के गहने
और
करुणा प्लावित हुई घटा
अंबर ने क्या नहीं दिया
पंक्तियाँ अच्छी लगीं .
बिना पिए तृषित पपीहा
जवाब देंहटाएंकह उठा पिया-पिया-पिया
वाह.. वाह... गुरु जी! वाकई गुरु सी रचना है. पढ़कर आनंद मिला. होशंगाबाद कब बुला रहे हैं?... मैथिलेन्द्र जी को नमन कहिये.
ले आया पावस के पत्र
जवाब देंहटाएंमेघ डाकिया
मौसम ने धूप दी उतार
पहन लिए बूँदों के गहने
खेतों में झोंपड़ी बना
कहीं-कहीं घास लगी रहने
बिना पिए तृषित पपीहा
कह उठा पिया-पिया-पिया
एक और अति मनभावन नवगीत के लिए टीम
अनुभूति को बधाई । गुरू देव आपको पढ़ते हुए
नवगीत सीखने का मजा ही कुछ और है इसीलिए
हम इस मंच पर आपकी अनवरत उपस्थिति के आकांक्षी है।
"ले आया पावस के पत्र
जवाब देंहटाएंमेघ डाकिया"
बहुत सुंदर है. बधाई.
सुन्दर नवगीत के लिए बधाई।
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