बन-बन, डार-डार, मेघा रे
ओ बदरा रे, मेघा रे
उमड़-घुमड़कर बदरा बरसे
बिजुरी चमके, दामिनी दरसे
दादुर, मोर, पपीहा बोले
मनवा डोले होले-होले
गड़-गड़ गरजे, रिमझिम बरसे
इन्द्रधनुष सतरंगी रे
ओ बदरा रे, मेघा रे
कारी घटा घन फिर उमड़ावत
पपीहा बोले मन घबरावत
लरज-लरज बदरिया बरसे
हिय में सुधि प्रियतम की सरसे
मेघ, मल्हार, बजे बंसुरिया
राधा सँग नाचे साँवरिया
ओ बदरा रे, मेघा रे
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शारदा मोंगा
बहुत सुंदर कविता, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंएक अच्छे नवगीत पर शारदा जी को बधाई!
जवाब देंहटाएंलरज-लरज बदरिया बरसे
हिय में सुधि प्रियतम की सरसे
मेघ, मल्हार, बजे बंसुरिया
राधा सँग नाचे साँवरिया
ओ बदरा रे, मेघा रे
अच्छी पंक्तियाँ,धन्यवाद!
शारदाजी
जवाब देंहटाएंसावन भादो की घटा से घनीभूत
आपके नवगीत ने एक फिर प्रीत की रीत को
बहाल कर दिया है । बेशक इसका असर
आगामी कार्यशाला में दिखेगा,फिलहाल आपकी पंक्तियों में ही आपको बधाई देने का मन करता है यदि आपकी अनुमति हो।
उमड़-घुमड़कर बदरा बरसे
बिजुरी चमके, दामिनी दरसे
दादुर, मोर, पपीहा बोले
मनवा डोले होले-होले
गड़-गड़ गरजे, रिमझिम बरसे
इन्द्रधनुष सतरंगी रे
ओ बदरा रे, मेघा रे
उमड़-घुमड़कर बदरा बरसे
जवाब देंहटाएंबिजुरी चमके, दामिनी दरसे
दादुर, मोर, पपीहा बोले
मनवा डोले होले-होले
गड़-गड़ गरजे, रिमझिम बरसे
इन्द्रधनुष सतरंगी रे
ओ बदरा रे, मेघा रे
बहुत ही सुन्दर गीत के लिये शारदा जी को बहुत बहुत बधाई
धन्यवाद।
विमल कुमार हेड़ा।
शारदा जी! एक अच्छे नवगीत हेतु बधाई.
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