22 अक्तूबर 2010

०३. मन में फिर आनंद समाया

तुम आए तो जीवन आया
मन में फिर आनंद समाया

गीत रचाया हमने पूरा
लेकिन लगता हमें अधूरा
तुम आए तो सावन आया
शब्दों में फिर बंद समाया
मन में फिर आनंद समाया

मन की क्यारी महक रही थी
साँस हमारी चहक रही थी
आकर तुमने गले लगाया
सुंदर सुर में छंद सुनाया
मन में फिर आनंद समाया
--
डॉ. रूपचंद्र शास्त्री मयंक
टनकपुर रोड, खटीमा
ऊधमसिंहनगर, उत्तराखंड, भारत - २६२३०८

7 टिप्‍पणियां:

  1. विमल कुमार हेड़ा।23 अक्तूबर 2010 को 8:13 am बजे

    मन की क्यारी महक रही थी
    साँस हमारी चहक रही थी
    आकर तुमने गले लगाया
    सुंदर सुर में छंद सुनाया
    मन में फिर आनंद समाया

    गीत पढ़कर मन मेरा हर्षाया। अति सुन्दर, मयंक जी को बहुत बहुत बधाई।
    विमल कुमार हेड़ा।

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  2. सुन्दर रचना ..
    तुम आए तो जीवन आया
    मन में फिर आनंद समाया
    बड़े ही मृदु शब्दों से गुंथी ये सुन्दर गीत माला बेहतरीन..

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  3. सरस मन को छूती गीति रचना... बधाई.

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  4. अति सुन्दर,बेहतरीन व मनमोहक रचना बधाई.

    मन की क्यारी महक रही थी
    साँस हमारी चहक रही थी
    आकर तुमने गले लगाया
    सुंदर सुर में छंद सुनाया
    मन में फिर आनंद समाया
    --

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  5. गीत रचाया हमने पूरा
    लेकिन लगता हमें अधूरा
    तुम आए तो सावन आया
    शब्दों में फिर बंद समाया
    मन में फिर आनंद समाया
    sunder geet
    bhadhai
    rachana

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