18 दिसंबर 2010

७. नव वर्ष की पंखुड़ी पर

नव वर्ष की पंखुड़ी पर
लिखें गीत सुनहरा

दिशाएँ मुखरित हो बोले
लगा न हो पहरा
आँखों की खिड़की से
आशा झाँके
हर चादर में हो
खुशियों के धागे
पत्तों की हरी किताब पर
लिखें सपना गहरा

अक्षर के मोती सजें
उन मासूम हाथों में
सच के तारे टके हो
सब की बातों में
प्यार की रागिनी बहे
छँटे घृणा का कोहरा

चूल्हे में गर्माहट हो
हाथों को काम
पनघट पर गोरी हँसे
चौपाल में शाम
न कोई पैदल न वजीर
बराबर हो हर मोहरा

-रचना श्रीवास्तव

11 टिप्‍पणियां:

  1. इस कविता में तो लय ढूँढने से भी नहीं मिली। भाव अच्छे हैं मगर ये नवगीत की पाठशाला है कविता की नहीं। और ये रचना गीत नहीं है।

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  2. पनघट पर गोरी हंसे,चौपाल पर शाम।

    सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।

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  3. अक्षर के मोती सजें
    उन मासूम हाथों में
    सच के तारे टके हो
    सब की बातों में
    प्यार की रागिनी बहे
    छँटे घृणा का कोहरा .
    - अक्षर के मोती और सच के तारे के सरस एवं प्रभावशाली प्रयोग ने नवगीत को और अधिक मधुर बना दिया है ।

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  4. श्री वास्तव में मिले, हो
    रचना ललित-ललाम.
    नया वर्ष ले आये फिर-
    हर घर-द्वार अनाम..

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  5. दिशाएँ मुखरित हो बोले
    लगा न हो पहरा
    आँखों की खिड़की से
    आशा झाँके
    हर चादर में हो
    खुशियों के धागे
    पत्तों की हरी किताब पर
    लिखें सपना गहरा
    sapna gahra alag sa laga .bahut uttam
    ye sunder geet hai.
    umesh

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  6. aap sabhi ke sneh shbdon ka bahut bahut dhnyavad

    rachana

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  7. दिशाएँ मुखरित हो बोले
    लगा न हो पहरा
    आँखों की खिड़की से
    आशा झाँके
    हर चादर में हो
    खुशियों के धागे
    पत्तों की हरी किताब पर
    लिखें सपना गहरा

    अक्षर के मोती सजें
    उन मासूम हाथों में
    सच के तारे टके हो
    सब की बातों में
    प्यार की रागिनी बहे
    छँटे घृणा का कोहरा

    चाहत और उम्मीद से लबरेज नवगीत की इन पंक्तियों के लिए रचनाजी को अशेष बधाई इस आशा के साथ कि भविषय में भी उनके माध्यम से हमारी पाठशाला में ऐसे सुमधुर गीतों की आमद होती रहेगी।

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  8. अक्षर के मोती सजें
    उन मासूम हाथों में
    सच के तारे टके हो
    सब की बातों में
    प्यार की रागिनी बहे
    छँटे घृणा का कोहरा |



    क्या बात है...

    यदि ऐसा हो जाये मीते ! जग,
    स्वर्गलोक कहलायेगा,


    वाह...वाह...सुंदर....

    आभार...और बधाई आपको रचना जी....

    शुभ-कामनाएँ
    गीता...

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