30 दिसंबर 2010

१७. नूतन वर्ष मनाएँ

जनमन दुखित अर्थ पीड़ित है
जग में आज शांति शापित है
छिन्न भिन्न संकल्प हो रहे
भूले सारे गीत अनकहे
अब क्या अपनी व्यथा सुनाएँ
कैसे नूतन वर्ष मनाएँ

देख रहा अब मैं परिवर्तन
नभ में हुआ ये कैसा गर्जन
ज्योतिर्माया जगमग आँगन
फिर से नई आस जागी है
चलो पुनः हम शक्ति लगाएँ
फिर से नूतन वर्ष मनाएँ

करें प्रतिज्ञा हम न डरेंगे
मिलकर नवयुग सृजन करेंगे
शंख बजाकर नए साल का
चलो शहीदों को मुंबई के
सब मिल श्रद्धा सुमन चढ़ाएँ
आओ नूतन वर्ष मनाएँ

प्रो. देवेन्द्र मिश्र

6 टिप्‍पणियां:

  1. मनभावन अभिव्यक्ति , बधाई ।
    नववर्ष की शुभकामनायें।

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  2. सुन्‍दर शब्‍द रचना ....नववर्ष की शुभकामनायें ।

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  3. करें प्रतिज्ञा हम न डरेंगे
    मिलकर नवयुग सृजन करेंगे
    शंख बजाकर नए साल का
    चलो शहीदों को मुंबई के
    सब मिल श्रद्धा सुमन चढ़ाएँ
    आओ नूतन वर्ष मनाएँ

    बहुत खूब... इसी राष्ट्रीय भाव की आवश्यकता है.

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  4. पंख लगे
    सबके सपनों को
    नज़र लगे ना
    चंदन वन को
    सगुन बधावा
    बाजे चहुँ दिश
    सोन किरिन का
    हो अभिनंदन
    aap ki asha puri ho naye sal me
    badhai
    saader
    rachana

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