16 फ़रवरी 2011

१२. इस सड़क के

इस सडक के
नित्य बदलें नए चोले

सुबह के आँचल में
रात की कहानी
सडक के किनारे
बिखरी है जिन्दगानी
खुशियाँ चुप रहें
दर्द हौले से बात खोले
इस सडक के नित्य बदलें
नए चोले

कहीं सेहरे
कहीं अर्थी के फूल
नैनो में चुभते
हादसों के शूल
शब्द बिक गये
सत्य को अब कौन बोले
इस सडक के नित्य बदलें
नए चोले

भूख से जन्मी
घरती की कली वो
सड़क की गोद में
बे मौसम पली वो
रंगों की चाहत में
रिबनों-सी उड़े डोले
इस सडक के नित्य बदलें
नए चोले

--रचना श्रीवास्तव

11 टिप्‍पणियां:

  1. मनभावन भावों से सजाया है इस नवगीत को रचना जी आपने| बधाई|

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  2. इस सडक के
    नित्य बदलें नए चोले

    रचना जी!
    अच्छी प्रस्तुति. आपको अर्पित कुछ पंक्तियाँ:

    इस सड़क ने
    नित्य बदले नए चोले...

    खुशियाँ सभी ने देखीं
    पीड़ा न युग ने जानी.
    विष पी गयी यहीं पर
    मीरां सी राजरानी.

    चुप सड़क ने
    कुछ न कहकर सत्य बोले.
    इस सड़क ने
    नित्य बदले नए चोले...

    घूमे यहीं दीवाने,
    गूँजे यहीं तराने,
    थी होड़ सिर कटायें-
    अब शेष हैं बहाने.

    क्यों सड़क ने
    अमृत में भी ज़हर घोले...
    इस सड़क ने
    नित्य बदले नए चोले...

    हर मूल्य क्यों बिकाऊ?
    हर बात क्यों उबाऊ?
    मौसम चला-चली का-
    कुछ भी न क्यों टिकाऊ?

    हर सीने में
    'सलिल' धड़के आज शोले.
    इस सड़क ने
    नित्य बदले नए चोले...

    *****************

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  3. इस सडक के नित्य बदलते चोले.

    बहुत सुंदर!

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  4. रचना जी ने जीवन के विभिन्न परिवर्तनों का क्टु यथार्थ प्रस्तुत किया है ।

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  5. सुंदर नवगीत के लिए बधाई..........
    सादर अमिता

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  6. navin ji aur salil ji aap dono ka bhu bahu dhyavad
    salil jo aap ne sunder geet likha hai dhnyavad
    rachana

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  7. आदरणीया पूर्णिमा जी आप द्वारा गीत /नवगीत के लिए अद्भुत सराहनीय कार्य किया जा रहा है |इसके लिए आपकी जितनी तारीफ की जाए कम होगी \जो काम डॉ शम्भुनाथ सिंह जी ने नवगीत दशक के माध्यम से किया वह काम आप मध्य एशिया में रहकर कर रही हैं |आप से मुझे नवगीत पर इंटरव्यू करना पड़ेगा |

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  8. बहुत सुंदर रचना है। रचना जी को बहुत बहुत बधाई।

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  9. सड़क के विभिन्न रूपों को आपने
    बड़ी ही सुंदरता से अपने भावों में ढाला है....

    रचना जी बधाई..और आभार...

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  10. Sharda ji,Himanshu ji,Amita ji,Geeta ji,Dhrmendra ji,Jaykrishn ji aap sabhi ka bhut bahut abhar ki aap ne apne bahumulya smy se smy nikal kal apne vichar likhe .asha hai aap sabhi ka aneh aese hi milta rahega .
    dhnyavad
    Rachana

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  11. 'इस सडक के नित्य बदले नये चोले'- गीत का मुखड़ा बहुत प्रभावी बन पड़ा है | फ़िलवक्त के यथार्थ के अंकन की दृष्टि से गीत पठनीय है | किन्तु इसमें लयों के विधान में अपेक्षित कसाव कम है और इसी से यह नवगीत की परिधि को छूता हुआ भी पूरी तरह नवगीत नहीं बन पाया है | रचना जी की रचनाधर्मिता को मेरा हार्दिक साधुवाद एवं नमन है |
    कुमार रवीन्द्र

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