12 जून 2011

१०. फूल पलाश के

जीवन के कोरे लम्हों पर
रचते फूल पलाश के
तितली के चंचल पंखों पर
सजते फूल पलाश के

सूरज
उतरे झरने में
मल मल खूब नहाये
हरसिंगार के फूल
चांदनी वेणी गूँथ सजाये
चाँद थाम ले हाथ अगर तो
खिलते फूल पलाश के

बादल
पहने पायल डोलें
पर्वत की चोटी पर
हौले खोल किवाड़ झाँकती
ऋतुएँ घर के अंदर
धरा सुन्दरी की चूनर में
टँकते फूल पलाश के

कुछ निशान
बनते जाते हैं
लहरों और हवाओं में
इनकी तो पहचान बसी है
फागुन की रचनाओं में
सखी आज ऋतु के स्वागत में
बिछते फूल पलाश के

-रचना श्रीवास्तव

11 टिप्‍पणियां:

  1. कुछ निशान
    बनते जाते हैं
    लहरों और हवाओं में
    इनकी तो पहचान बसी है
    फागुन की रचनाओं में
    सखी आज ऋतु के स्वागत में
    बिछते फूल पलाश के

    सुंदर रचना, पलाश के फूलों सी >

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  2. पलाश के फूलों को महत्त्वपूर्ण बनाने की अच्छी कोशिश!

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  3. jeevan ke kore lamhe par rachte fool flash ke sundar geet hai badhai aap ne dhak ke pate ko aakash jaisa vistrit kar diya dhanyabad

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  4. बहुत खूबसूरत नवगीत , कल-कल जलधारा -सा प्रवाह लिये हुए , सादगी से भरा । ये पंक्तियाँ तो मन को छू गई -
    बादल पहने पायल डोलें
    पर्वत की चोटी पर
    हौले खोल किवाड़ झाँकती
    ऋतुएँ घर के अंदर
    धरा सुन्दरी की चूनर में
    टँकते फूल पलाश के

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  5. आहा पलाश के फूल सी कविता .बहुत ही सुन्दर .

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  6. अमिता कौंडल13 जून 2011 को 9:54 pm बजे

    कुछ निशान
    बनते जाते हैं
    लहरों और हवाओं में
    इनकी तो पहचान बसी है
    फागुन की रचनाओं में
    सखी आज ऋतु के स्वागत में
    बिछते फूल पलाश के
    बहुत सुंदर नवगीत है रचना जी बधाई.
    सादर,
    अमिता कौंडल

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  7. bahut pyaari rachna hai...
    सूरज
    उतरे झरने में
    मल मल खूब नहाये
    हरसिंगार के फूल
    चांदनी वेणी गूँथ सजाये
    चाँद थाम ले हाथ अगर तो
    खिलते फूल पलाश के

    बादल
    पहने पायल डोलें
    पर्वत की चोटी पर
    हौले खोल किवाड़ झाँकती
    ऋतुएँ घर के अंदर
    धरा सुन्दरी की चूनर में
    टँकते फूल पलाश के

    yeh panktiyaan to mann ko behad bhaa gayi...badhai...

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  8. लहरों और हवाओं मे निशान , और फाल्गुनी रचनाओं में अपनी पहचान बनाने वाली इस प्यारी सी रचना के लिए रचना आप को बधाई ।

    सस्नेह,
    शशि पाधा

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  9. सूरज
    उतरे झरने में
    मल मल खूब नहाये
    हरसिंगार के फूल
    चांदनी वेणी गूँथ सजाये
    चाँद थाम ले हाथ अगर तो
    खिलते फूल पलाश के...

    Bahut sundar suraj ka jharne men aakar nahana,chandni ka phulon se veni sajana bahut bhaya...bahut saari shubkamnyen ...

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  10. बादल
    पहने पायल डोलें
    पर्वत की चोटी पर
    हौले खोल किवाड़ झाँकती
    ऋतुएँ घर के अंदर
    धरा सुन्दरी की चूनर में
    टँकते फूल पलाश के
    मनभावन,वाह! क्या दृश्य दिखाया है शब्दों के माध्यम से.

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