19 जून 2011

१६. पलाश-गीत


ढाक के तीन पात थे
वो भी अब खो गये
पसई के चाउर से
सपने हम बो गये ।

जंगल का बिरवा था
बस्ती ने खा लिया
आग को पानी की
मस्ती ने पा लिया
उजड़े वीराने तो
शहरों के वंश बढ़े
पेड़ों में नव पलाश
जागे थे, सो गये ।


निर्धन की आँखों में
टेसू सा सपना है
दहक रहे सूरज से
उपवन का दहना है
डालों पर अंगारे
आँखों में सूरज है
जेठ के अंधड़ में
सपने सब खो गये ।

लाल से अधरों पर
पीली सी वंशी है
ढाक की गोद में
किरनों का अंशी है
गाँव के बाहर भी
सावन जी लेता है ।
फूलों के पाहुन भी
फागुन से हो गये ।

--डा० जीवन शुक्ल

5 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सुंदर नवगीत है। जीवन जी को बहुत बहुत बधाई।

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  2. डा० जीवन शुक्ल बहुत वरिष्ठ नवगीतकार हैं। नवगीत की पाठशाला पर आपकी नवगीतों सहित उपस्थिति नवगीतकारों के लिए उत्सव के समान उल्लसित कर देने जैसा है, यदि आप पाठशाला पर नियमित आते रहें तो निश्चय ही हमारे प्रयास को चार चाँद लगेंगे। इस नवगीत की बहुत सारी विशेषताएँ उभर कर सामने आ रही हैं जैसे -
    " ढाक के तीन पात " मुहावरे का सटीक प्रयोग नवगीत के प्रारम्भ में ही होता है, ढाक सर्वहारा वर्ग का प्रतीक भी है इसका बहुत अच्छा निर्वाह हुआ है।

    " ढाक के तीन पात थे
    वो भी अब खो गये
    पसई के चाउर से
    सपने हम बो गये । "

    शहरों के विस्तार के चलते जंगलों का विनाश एक त्रासदी है --
    " जंगल का बिरवा था
    बस्ती ने खा लिया
    आग को पानी की
    मस्ती ने पा लिया
    उजड़े वीराने तो
    शहरों के वंश बढ़े "

    " टेसू का एक खेल भी खेला जाता है गाँवों में, वह बहुत सारे सपने देखता है पर पूरे शायद ही कभी होते हों----

    "निर्धन की आँखों में
    टेसू सा सपना है
    दहक रहे सूरज से
    उपवन का दहना है"

    ढाक या पलाश के फूलों का रंग, रूप और ग्रीष्म की तेज धूप में खिलने विषयक चित्रण बहुत सटीक शब्दावली में किया गया है।
    " लाल से अधरों पर
    पीली सी वंशी है
    ढाक की गोद में
    किरनों का अंशी है "

    कथ्य और शिल्प की दृष्टि से डा० जीवन शुक्ल जी का यह नवगीत बहुत सुन्दर और भाव प्रवण नवगीत है।

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  3. बहुत ही सुंदर.

    हमने इस गीत-नवगीत से बहुत कुछ सीखना है.

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  4. निर्धन की आँखों में
    टेसू सा सपना है
    दहक रहे सूरज से
    उपवन का दहना है
    डालों पर अंगारे
    आँखों में सूरज है
    जेठ के अंधड़ में
    सपने सब खो गये ।
    सुन्दर सुन्दर बहुत ही सुंदर.
    saader
    rachana

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